गोदान (Godan): प्रेमचंद का अनमोल उपन्यास

Godan

गोदान उपन्यास का परिचय Godan भारतीय साहित्य के महान लेखक प्रेमचंद द्वारा लिखा गया एक महत्वपूर्ण उपन्यास है। इस उपन्यास की रचना 1936 में हुई थी और यह प्रेमचंद के उपन्यासों में से एक है, जिसने समाज के मुद्दों को बहुत ही गहराई से …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 10

Godan Chapter 10

हीरा का कहीं पता न चला और दिन गुज़रते जाते थे। होरी से जहाँ तक दौड़धूप हो सकी की; फिर हारकर बैठ रहा। खेती-बारी की भी फ़िक्र करनी थी। अकेला आदमी क्या-क्या करता। और अब अपनी खेती से ज़्यादा फ़िक्र थी पुनिया की खेती …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 9

Godan Chapter 9

प्रातःकाल होरी के घर में एक पूरा हंगामा हो गया। होरी धनिया को मार रहा था। धनिया उसे गालियाँ दे रही थी। दोनों लड़कियाँ बाप के पाँवों से लिपटी चिल्ला रही थीं और गोबर माँ को बचा रहा था। बार-बार होरी का हाथ पकड़कर …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 8

Godan Chapter 8

जब से होरी के घर में गाय आ गयी है, घर की श्री ही कुछ और हो गयी है। धनिया का घमंड तो उसके सँभाल से बाहर हो-हो जाता है। जब देखो गाय की चर्चा। भूसा छिज गया था। ऊख में थोड़ी-सी चरी बो …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 7

Godan Chapter 7

यह अभिनय जब समाप्त हुआ, तो उधर रंगशाला में धनुष-यज्ञ समाप्त हो चुका था और सामाजिक प्रहसन की तैयारी हो रही थी; मगर इन सज्जनों को उससे विशेष दिलचस्पी न थी। केवल मिस्टर मेहता देखने गये और आदि से अन्त तक जमे रहे। उन्हें …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 6

Godan Chapter 6

जेठ की उदास और गर्म सन्ध्या सेमरी की सड़कों और गलियों में पानी के छिड़काव से शीतल और प्रसन्न हो रही थी। मंडप के चारों तरफ़ फूलों और पौधों के गमले सजा दिये गये थे और बिजली के पंखे चल रहे थे। राय साहब …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 5

Godan Chapter 5

उधर गोबर खाना खाकर अहिराने में पहुँचा। आज झुनिया से उसकी बहुत-सी बातें हुई थीं। जब वह गाय लेकर चला था, तो झुनिया आधे रास्ते तक उसके साथ आयी थी। गोबर अकेला गाय को कैसे ले जाता। अपरिचित व्यक्ति के साथ जाने में उसे …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 3

Godan Chapter 3

होरी अपने गाँव के समीप पहुँचा, तो देखा, अभी तक गोबर खेत में ऊख गोड़ रहा है और दोनों लड़कियाँ भी उसके साथ काम कर रही हैं। लू चल रही थी, बगूले उठ रहे थे, भूतल धधक रहा था। जैसे प्रकृति ने वायु में …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 2

Godan Chapter 2

सेमरी और बेलारी दोनों अवध-प्रान्त के गाँव हैं। ज़िले का नाम बताने की कोई ज़रूरत नहीं। होरी बेलारी में रहता है, राय साहब अमरपाल सिंह सेमरी में। दोनों गाँवों में केवल पाँच मील का अन्तर है। पिछले सत्याग्रह-संग्राम में राय साहब ने बड़ा यश …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 1

Godan Chapter 1

हरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी देकर अपनी स्त्री धनिया से कहा — गोबर को ऊख गोड़ने भेज देना। मैं न जाने कब लौटूँ। ज़रा मेरी लाठी दे दे।धनिया के दोनों हाथ गोबर से भरे थे। उपले पाथकर आयी थी। बोली — अरे, कुछ …

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