हम सभी जानते हैं कि मिर्ज़ा ग़ालिब एक महान शायर थे और उनकी Shayari हमेशा से लोगों के दिलों में जगह बनाई हुई हैं। उनकी Shayari के वाक्य एक अलग ही जगह रखते हैं और हमेशा से लोग उनकी कविताओं को पढ़ने और सुनने के शौकीन रहे हैं। Ghalib की शायरी में एक अलग ही मज़ा है जो आपको अपने जीवन के हर पहलू में आपको खुशी और संतुष्टि देता है।

अगर आप एक Shayari lover हैं तो आपके लिए ये ख़बर होगी कि हम आपके लिए लाए हैं “ग़ालिब के 100 सबसे अद्भुत शेर”। इसमें हमने उनकी शायरी से सैकड़ों शेरों का चयन किया है जो आपको निश्चित रूप से पसंद आएँगे।
Mirza Ghalib Shayari in Hindi
आजकल जब भी हम उदास और खुशी के इस जीवन में थोड़ा रुक्ष होते हैं तो शायरी का सहारा लेते हैं। शायरी हमें न सिर्फ हमारी भावनाओं को समझने में मदद करती है, बल्कि उन्हें आदान-प्रदान भी करती है। शायरी उस समय से उठी है जब लोग संवाद के लिए शब्दों की जगह कोई दूसरी चीज नहीं ढूंढ पा रहे थे।
आज हम आपको उनमें से एक शायर के बारे में बताएंगे, जिसने हिंदी शायरी के जगत में अपनी अलग पहचान बनाई। वह शायर हैं मिर्ज़ा ghalib । मिर्ज़ा ग़ालिब ने अपनी ज़िन्दगी में बहुत सी शायरियों की रचना की, जिसने हमें उनकी ज़िन्दगी और उनकी सोच के बारे में जानने का मौका दिया।
सूरज ढलते हुए आदमी का चेहरा ढलता है,
दिन दफन होता है रात की आगोश में।
आँखों में आंसू हों तो उदास न हो,
यादों में हमेशा मुस्कुराहट छुपी हो।
जो चाहते हो तुम मुझे मिल न सको,
तो जिंदगी भर मेरी दुआओं में रहना।
उम्र भर का साथ हो तो क्या,
खुशियों से भरी ये रात हो तो क्या।
दुश्मनी अगर करनी हो तो शर्मिंदगी से करो,
अब तो जमाना भी इंसानियत से जुदा है।
वक्त के हाथों से उम्र गुजरती जाती है,
बेकरारी से सोचते रहना बुरा होता है।
हमारे वजूद में ख़ुदा नहीं होता,
अगर होता तो इतनी तकलीफें नहीं होतीं।
कुछ खोया है तो उसे भुला दो,
जो पाया है उसे निभा दो।
आँखें खुली तो तस्वीर सामने थी,
जब नींद से उठे तो आपका ख्याल था।
अरे दोस्त, अगर कुछ अलग करना चाहते हो,
तो उठ जाओ और समझौता कर लो।
समय के साथ साथ ये दिन भी निकलेंगे,
जब हम बदल जाएँगे, ये दोस्त भी बदल जाएँगे।
सूरज डूबा है जिस आँख में, जलता हुआ वो जहाँ है,
वो आज भी वहीं है मगर, उसकी धुप अब नहीं है।
कोई उसे बताओ इस बात का, वो कुछ नहीं जो बदला है,
उसी आँख से देखा जाए तो, वो सब वहीं पर पड़ा है।
जब तक इस जहाँ में सदा, तेरी नक़्श-ए-क़दम रहेंगे,
ये दुनिया फ़ना हुई जब होगी, कुछ तेरे काम रहेंगे।
हमने माना की ताग़़ाफ़ुल नहीं होता,
किसी को देखने से काम नहीं चलता।
उम्र भर ग़म नहीं होता, साथ दोस्तों का हो तो बेहतर है,
वरना रोता हुआ आदमी, अकेला ही नहीं रोता।
अगर खुदा आपको देख रहा है, तो गुमराह मत होइए,
खुदा आपके साथ है, चाहे आप उसको महसूस न कर पाए।
रोज़ बदलती रहती है रूय़े जहाँ की,
मगर ये सदा की हँसी और बेख़ौफ़ी नहीं बदलती।
ज़िन्दगी शायद तब बेहतर हो,
जब हम वो ख़ुशी से जिये जो हमें नहीं मिलती।
अजनबी से कभी आख़िर मिलते नहीं,
हम तो बस उनका इंतज़ार करते हैं।
हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है,
तुम्हीं कुछ नहीं मगर हमारे पास हो।
कोई उम्मीद बर नहीं आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती।
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश गह है,
जो लगाई है तो नफ़स जल जाती है।
दर्द बदले जाते हैं, लेकिन हम उसकी दवा नहीं,
जो दवा के काबिले दवा न हुआ।
मेरी तक़दीर में बस इतना ही लिखा है,
मैंने चाहा था जिसे, वो मुझसे ना मिला।
ग़म से खाली नहीं होती ज़मीं,
बेख़ुदी नहीं होती बे-वज़ह नहीं होती।
उम्र भर ग़म का साथ है,
ग़म नहीं तो कुछ नहीं है।
दिल से तेरी निगाह जुदा तो नहीं,
तुम्हारी तस्वीर के सिवा कुछ भी भटकता है।
रग-ए-संसार नसीब ले लिये उन्हीं को होता है,
जिनके होंठों पे होते हैं मुस्कुराहट ज़ुबानों से नहीं।
ग़ालिब की शायरी 4 Line
कुछ दोस्त हमारे ऐसे भी होते हैं,
जिन्हें देखते ही समझ में आ जाता है,
बिन बोले ही सब कुछ समझ जाते हैं।
उम्र भर गम नहीं, खुशी की तलाश में निकलेंगे,
आपकी दोस्ती का साया जब साथ होगा,
तो दर्द को भी हम भूल जाएँगे।
कुछ तो खुशियों के पल होते हैं,
जिन्हें हमेशा याद रखते हैं।
कुछ दुखों की मुस्कान होती है,
जिन्हें हम भूल नहीं पाते हैं।
दुआओं में तुम्हारी हस्ती मांगी थी,
खुदा ने तुम्हें फुर्सत से बनाया होगा।
जब उसने तुम्हें बनाया होगा,
तो उस्सी दिन का इंतजार तुम्हें करते होगे।
आँखों में अपनी जादू चला लो,
खुद ना जाने आप कब खो जाओगे।
आज के बाद कोई भी आए ना आए,
खुशी से गम का सामना करते होगे।
जाना था जिसे ज़िन्दगी की राहों में कहीं,
वो मुझसे बिछड़ कर खुश हो गया तो अच्छा हुआ।
अब उसका घमंड मुझे भुलाने लगा है,
जब देखा कि उसने खुद को मेरे सिवा कुछ नहीं पाया।
उस आशियाने में क्या रखा है जहाँ ग़म न हो,
मैंने तो लोगों को देखा है ज़मीन पर सोते हुए भी वो रोते हों।
खुदा ने दी थी जो नौकरी उनको मुझसे बेहतर दे दी,
लेकिन मेरी तो क़िस्मत ही ख़राब थी कि जिनका होता था वो भी मुझसे बेहतर जीते थे।
उनकी ये बातें और अदाएं अजीब लगती हैं,
कभी हँसते हुए बताते हैं कि मैं तुम्हारे बग़ैर जी नहीं सकता।
और फिर वो भी क्या बात हुई कि मुझसे दूर चले जाने के बाद,
उन्होंने मेरे बग़ैर जीते कैसे हैं बताया नहीं।