गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 8

Godan Chapter 8

जब से होरी के घर में गाय आ गयी है, घर की श्री ही कुछ और हो गयी है। धनिया का घमंड तो उसके सँभाल से बाहर हो-हो जाता है। जब देखो गाय की चर्चा। भूसा छिज गया था। ऊख में थोड़ी-सी चरी बो …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 7

Godan Chapter 7

यह अभिनय जब समाप्त हुआ, तो उधर रंगशाला में धनुष-यज्ञ समाप्त हो चुका था और सामाजिक प्रहसन की तैयारी हो रही थी; मगर इन सज्जनों को उससे विशेष दिलचस्पी न थी। केवल मिस्टर मेहता देखने गये और आदि से अन्त तक जमे रहे। उन्हें …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 6

Godan Chapter 6

जेठ की उदास और गर्म सन्ध्या सेमरी की सड़कों और गलियों में पानी के छिड़काव से शीतल और प्रसन्न हो रही थी। मंडप के चारों तरफ़ फूलों और पौधों के गमले सजा दिये गये थे और बिजली के पंखे चल रहे थे। राय साहब …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 5

Godan Chapter 5

उधर गोबर खाना खाकर अहिराने में पहुँचा। आज झुनिया से उसकी बहुत-सी बातें हुई थीं। जब वह गाय लेकर चला था, तो झुनिया आधे रास्ते तक उसके साथ आयी थी। गोबर अकेला गाय को कैसे ले जाता। अपरिचित व्यक्ति के साथ जाने में उसे …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 4

Godan Chapter 4

होरी को रात भर नींद नहीं आयी। नीम के पेड़-तले अपनी बाँस की खाट पर पड़ा बार-बार तारों की ओर देखता था। गाय के लिए एक नाँद गाड़नी है। बैलों से अलग उसकी नाँद रहे तो अच्छा। अभी तो रात को बाहर ही रहेगी; …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 3

Godan Chapter 3

होरी अपने गाँव के समीप पहुँचा, तो देखा, अभी तक गोबर खेत में ऊख गोड़ रहा है और दोनों लड़कियाँ भी उसके साथ काम कर रही हैं। लू चल रही थी, बगूले उठ रहे थे, भूतल धधक रहा था। जैसे प्रकृति ने वायु में …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 2

Godan Chapter 2

सेमरी और बेलारी दोनों अवध-प्रान्त के गाँव हैं। ज़िले का नाम बताने की कोई ज़रूरत नहीं। होरी बेलारी में रहता है, राय साहब अमरपाल सिंह सेमरी में। दोनों गाँवों में केवल पाँच मील का अन्तर है। पिछले सत्याग्रह-संग्राम में राय साहब ने बड़ा यश …

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गोदान : मुंशी प्रेमचंद |Godan (Novel) : Munshi Premchand – Chapter 1

Godan Chapter 1

हरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी देकर अपनी स्त्री धनिया से कहा — गोबर को ऊख गोड़ने भेज देना। मैं न जाने कब लौटूँ। ज़रा मेरी लाठी दे दे।धनिया के दोनों हाथ गोबर से भरे थे। उपले पाथकर आयी थी। बोली — अरे, कुछ …

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टॉम काका की कुटिया (उपन्यास) : हैरियट बीचर स्टो | Uncle Tom’s Cabin (Novel in Hindi) : Harriet Beecher Stowe

हैरियट बीचर स्टो

1. गुलामों की दुर्दशा माघ का महीना है। दिन ढल चुका है। केंटाकी प्रदेश के किसी नगर के एक मकान में भोजन के उपरांत दो भलेमानस पास-पास बैठे हुए किसी वाद-विवाद में लीन हो रहे थे। कहने को दोनों ही भलेमानस कहे गए हैं, …

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दुष्ट सर्प और कौवे : पंचतंत्र की कहानी | Dusht Sarp Aur Kauve : Panchtantra

दुष्ट सर्प और कौवे

दुष्ट सर्प और कौवे : पंचतंत्र की कहानी एक जंगल में एक बहुत पुराना बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर एक कौआ और उसकी पत्नी कव्वी अपना घोंसला बनाकर रहती थीं। उसी पेड़ के खोखले तने में एक दुष्ट सांप भी रहता था। …

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